Monday 28 July 2014

बाघ बचाएं ..



बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में सफ़ेद टाइग्रेस 'सिद्धि' के शावक ने आंख खोलने के पहले दम तोड़ दिया है ,पीएम रिपोर्ट में शावक के गले में माँ के दन्त गड़ना पाया गया है, सभी जानते है,जंगल में दूर तक आजाद राज करने वाला बाघ पिंजरे में तनाव में इघर-उधर बेचैनी और तनाव में रहता है,इस वजह माँ शावक का परित्याग कर देती है कभी- कभी मार देती है, ये मामला भी मुझे इस तरह का लगता है.!

 इस तरह के मामले पहले भी रिकार्ड किये गए हैं,,भला कोई माँ ऐसा कर सकती है ,ये बात जेहन में आती है,, बाघ आजाद जीव है,सम्भवत वो खुद बंदी होने के बाद भी अपने शावक के ये जिन्दगी नही देना चाहती..! एक सवाल है यह भी है की  करीब 56 साल से पिंजरे में रह रहे सफ़ेद बाघों की जंगल में वापसी कब होगी..या फिर इनको शाप है कि.. सारी पीढियां उम्र कैद सारे जू में कटेंगी..!इस तरफ कोई कदम नही उठता दिखाई देता, जंगल का कर्ज व्याज सहित अदा करना होगा ,! पर ये जटिल काम है,,! 

विश्व टाइगर दिवस पर ये संकल्प तो लिया जा सकता है कि, टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों से प्रेम रखने वाले प्रशिक्षित लोग ही काम करेंगे न की बारह्सिंधा और नर चीतल में अंतर न समझने वालों को पदस्थ किया जाये..! और सभी स्माल जू में अधिकार सक्षम क्यूरेटर की नियुक्ति की जाए और नासमझ अधिकारों के अधिकारों को विदा किया जाए जो किसी भी वन्यजीव की मौत का कारण लालबुझकड की तरह बूझ कर मीडिया को भी गुमराह करते हैं,,!  

सेंचुरी से गुजरने वाली सड़क पर रात दिन आवजाही,उनके आवास में खलल डालती हैं, गाँव टाइगर रिजर्व में जमें हैं, केटल कैम्प हटाओ तो फिर बस जाते हैं, सैलानियों और फोटोग्राफी के शौक ने जानवरों को अर्धपालतू बना दिया है.सही तरह से पता नही कितने वन्य जीव किस सेंचुरी में हैं ,पर आस जीवित है की बाघ को बचाना है, कोई नहीं हम ही उसे बचायेंगे [सेव टाइगर] 

Sunday 20 July 2014

सफेद बाघिन का गोरा शावक

'' बिलासपुर [छतीसगढ़] के कानन पेंडारी जू में सफ़ेद बाघिन ने एक सफेद शावक को जन्म दिया है इसके साथ ही विश्व के सफ़ेद बाघों के परिवार में एक सदस्य का और इजाफा हो गया है.
इस शावक के माँ और बाप दोनों गोरे हैं.जू के चिकित्सक डा पीके चंदन ने बताया की  105 दिन की गर्भावस्था बाद इसका जन्म हुआ है.फोटो डीएफओ हेमंत पांडे ने whatsaap पर उपलब्ध की.जिस कारण ये पोस्ट संभव हुआ.

विश्व में अब सफ़ेद बाघ जंगल में नहीं है, रीवा के महाराज मार्तंड सिंह की ये विश्व को देंन है,करीब पैसठ साल पहले उन्होंने शिकार के दौरान माँ बाघिन के साथ एक शावक देखा जो माँ के रंग से भिन्न था.बाद महाराजा ने उसे पकड़वाने में सफलता पाई जिसे मोहन नाम दिया गयाकोई अलग प्रजाति नहीं कुदरत का करिश्मा जींस के कारण है,, आज जो भी सफेद बाघ परिवार है मोहन का वंशज है ..!

टाइग्रेस सीता आज भी याद की जाती है




''बांधवगढ़ की विश्व प्रसिद्ध टाइग्रेस सीता अपने शिकार के डेढ दशक बाद भी जानी जाती है,कभी इसे बांधवगढ़ में अपने शावकों को पाले जाने और उनके फिल्मांकन के लिए,पर ये मौका था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इण्डिया दवारा आयोजित तीन दिनी ट्रेनिंग के समापन सत्र का .

अचानकमार टाइगर रिजर्व के बफरजोन में शिवतराई गाँव में आयोजित इस आयोजन में पचास मैदानी वन कर्मियों को वाइल्ड लाइफ एक्ट की जानकारी दी गई.बताया गया शिकार या वन्यजीवों की तस्करी और होने वाले अपराधों को कैसे रोका जाए,यदि हो तब उसकी विवेचना, किस तरह तथ्य संग्रह किये जाए ताकि अदालत में आरोपी को सजा मिल सके.इसके लिए शिकारी और अधिकारी बन कर जंगल  में विवेचना का प्रेक्टिकल कराया गया ..! इस तरह के आयोजन आगे भी होने की बात की गई .

समापन समारोह में बंधवगढ़ की सीता के शिकार का मामला भी उदहारण बन सामने आया गया,इस मामले से जुड़े उमरिया के वकील एस.कुमार सोनी ने भी इस चर्चित मामले का ब्यौरा दिया..वन्यजीवों के लिए कार्यरत संस्था के रीजनल हेड डा.आर पी मिश्रा ने वन कर्मियों को ट्रेनिग दी.उन्होंने सभा को बताया की अब तक उनकी संस्था बीस राज्यों के बाईस हजार कर्मियों को ट्रेंड किया गया है और आकस्मिक दुर्धटना बीमा योजना के तहत कवर किया गया है.
वनकर्मियों को टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर तपेश झा ने उपयोगी किट का वितरण किया,टाइगर रिजर्व के उप निदेशक सी एल अग्रवाल सहित वन विभाग के आला अधिकारी.पत्रकार कमल दुबे राजेश दुआ भी मौजूद थे..! 

Thursday 10 July 2014

जू में जन्मे वाईपर के सपोले



बिलासपुर[छतीसगढ़] के जूलाजिकल गार्डन कानन पेंडारी में रसल वाईपर सांप के 7 सपोले जन्मे हैं. इस प्रजाति के सांपो के विषय में माना जाता है कि. वे सीधे बच्चे देते है,पर यहाँ जो मामला सामने आया है वो कुछ भिन्न है,पतले लिजलिजे अंडे से ये सपोले कुछ मिनट बाद खुद बाहर आये फिर एक ही दिन में इनकी लम्बाई छह इंच से बढ़ कर एक फिट के करीब हो गई ,,पहले फोटो में वो कोमल कवच है जिसे से सपोले निकले है, दूसरी फोटो में स्वस्थ सपोले और तीसरी फोटो गूगल से ली गई है,,!

डीएफओ हेमंत पाण्डेय ने बताया कि इस पार्क में नौ प्रजातियों के पैसठ सांप रखे गये हैं,जिनके शीतकाल की सुसुप्तावस्था  लिए 'हाइबरनेशन केज' बनाये गए हैं,,! वाईपर भारत का जहरीला सर्प है, इसकी पूंछ में विशेषता होती है कि ये उसके सेल को रगड़ के झुनझुनाहट भरी ध्वनि कर सामने वाले को खतरे की चेतावनी देता है, मुझे याद है कोई तीस साल पहले हमारे केले की बगान में एक बड़ा वाईपर पकड़ा लिया गया,,मैं जब उसे किसी को दिखने के लिए बोरे कप  ऊपर से खोलता तो वो खतरे की चेतावनी देता ,,! एक सपेरे को जब मैंने ये सांप देना चाहा तो वो बोरे से सांप देखने के बाद दो कदम पीछे हट कर बोला,,' दे ह पोसे के सांप नो है'.!! बहरहाल जो सपोले पार्क के पर्रिवार में आये है उसको हाइबरनेशन केज में शिफ्ट किया है,,!!


नेट से मिली जानकारी के अनुसार--वाइपर जाति के एक किस्म के सांप के सिर पर एक छोटी सी हड्डी ऊपर उठी हुई रहती है , जो सींग जैसी लगती है। अत: उससे सींग वाले सांप का भ्रम होता है।
वाइपर जाति का रेगिस्तान में रहने वाला सांप बहुत खतरनाक होता है। उसकी पूंछ में कई छल्ले बने हुए होते है, जब वह चौंकता है या उत्तेजित होता है तो उन छल्लों में कंपन से जोरदार झनझनाहट की आवाज आने लगती है, शायद इसलिए इसका नाम रेटल स्नेक झुनझुना सांप पड़ा।''