Wednesday 25 March 2015

मेहमान परिंदों की सुरक्षा..



प्रवासकाल गुज़ार कर वापस जा रहे रोजी स्टारलिंग चिडियों को वन विभाग की सुरक्षा मिल गई ।कल संध्या इन परिंदों के आने से पहले वनविभाग के अमले ने गाँव बेलमुंडी में भीड़ को दूर से देखने की हिदायत दे दी । इसके पहले गाँव में मुनादी करा दी गई की गाँव में आने वाले इन मेहमानों  को  कोई  तंग  न करें !

शाम हजारों के झुण्ड में प्रवासी पक्षी आये और पुराने पीपल में बैठे और फिर साथ के तालाब में उगी एलिफेंटग्रास में महफूज़ रात गुजरने बैठते गये।हजारों की संख्या में उनकी वेग पूर्ण उड़ान और सांध्य का गीत मनोहारी था ।[ इस पोस्ट के पहले चित्र पर क्लिक कर देखिएगा पेड़ में पत्ते और चिड़िया में कौन अधिक हैं]

बेलमुंडी का ये उनका आदर्श मिलनस्थल है ।जहाँ ये एकत्र हो यूरोप पश्चिमी और मध्यएशिया को कूच करते हैं ।दो साल पूर्व इनको वापसी के दौरान देखने वालों से खलल पहुंचा जिस कारण ये बीते साल कुछ परिंदे आये थे ।इस साल जब सोशल मीडिया ने उनकी परेशानी से 

Saturday 21 March 2015

बार-नवापारा सेंचुरी जहाँ वन्यजीवों की कमी नहीं




यहाँ प्रकृति अपनी आदिम अवस्था में जीती है,244 वर्ग किमी के इस में सैलानी जैवविविधता और वन्यजीव जीवों की प्रचुर संख्या देख तृप्त हो जाता है,छत्तीसगढ़ के किसी अन्य अभयारण्य में इतने वन्यजीव नहीं दिखते,वो भी विविध प्रजातियों के..! 
इस सेंचुरी की दायरा बढाया जाना प्रस्तावित है, जिसके मुताबिक बार-नवापारा 454 वर्ग किमी की हो जायेगी, यहाँ हर मोड़ पर कोई वन्यजीव मिलना तय है, बाघ के मामले में इस लैडस्केप में आठ बाघ का होना बताया गया हैं.पर इस पीढ़ी में कभी किसी ने बाघ नहीं देखा,मेरा तो विश्वास हो चला है कि हरियर छ्तीसगढ़ में बाघ का जो आकड़ा बताया जाता है वो फर्जी है,जबकि जंगल आलादर्जे का है.बार नवापारा में नीलगाय, बाईसन,चीतल,सांभर,तेंदुए,खरगोश बहुत है, भालू महुआ खाते दो बार मिला.! मोर, हरियल जगंली मुर्गी, भीमराज के अतिरिक्त जलीय पक्षी भी स्वप्निल संसार रचते है. 

प्रवासी हाथियों में इस सेंचुरी में और इसके इर्द-गिर्द डेरा डाले है. 'गजराज परियोजना' में बार नवापारा को लिया जाना अब जरूरी हो गया है, यहाँ किसी नेशनल पार्क से बाघ लाने की योजना बलौदा बाजार केडीऍफ़ओ एस के बड़गैया लाने की सोच बनाये है,उसके लिए प्री-बैस तो है पर ये संभव नहीं लगता.सेंचुरी में तालाबों में पानी बना रहे इसके लिए सौरऊर्जा चलित पंप चल रहे है,ये वानकी के लिए अन्य सेंचुरी जहाँ नहीं वहां भी लगाये जाने चाहिए..बार-नवापारा का गाँव नवापारा अब सेंचुरी से विस्थापित हो गया है ,,सैलानियों के लिए और भोजन और भ्रमण के लिए सुविधा उपलब्ध है, पक्षी-विहार विकसित किया जा रहा है जिसका भ्रमण सैलानी वन्यजीव देखते हुए साइकिल से करेंगें !!


हाँ तो क्या कर रहे आप अवकाश में.
कुछ दिन तो गुजरे प्रकृति के पास में ..!

Monday 16 March 2015

रोजी स्टारलिंग, विमुख नहीं बेलमुड़ी से




प्रवासी रोजी स्टारलिंग [गुलाबी मैना/तिल्यर] अपने प्रवास पथ से विमुख नहीं हुए है और वापसी उड़ान के पथ में बेलमुड़ी को पड़ाव बनाये है. बेलमुड़ी गाँव बिलासपुर शहर से कोई चौदह किमी दूर है जहाँ वे हजारों की संख्या में पड़ाव डालते है. दो साल पहले इन्ही दिनों उनको देखने मेला लगा जाता.

नतीजन उनके प्राकृतिक परिवेश में इस खलल के कारण, विगत साल वे कम आये कब आये और गए पता ही नहीं लगा. लेकिन इस साल जाते वसंत को वो गुलजार कर रहें है.! वो परिचत पीपल और बबूल के पेड़ पर झुण्ड में रुकते है और यहाँ के जलाशय में  उगी एलिफेंट ग्रास में रात महफूज ठिकाना करते है ,,,!

रोजी स्टारलिंग प्रवासी पक्षियों में सबसे पहले बड़े झुंडों में भारत आने वाले पक्षी है.छत्तीसगढ़ में ये वसंत के पहले दिखते हैं, टेसू व सेमर के फूलों का रसपान,पीपल बरगद के फल खाते वक्त ये चहचहाते है पर कोई करीब आये तो सब खामोश हो जाते हैं,इन दिनों झुण्ड में तेज लहरेदार उड़ान भरते हुए ये मेहमान यूरोप और पश्चिम था मध्य एशिया को कूच करते हैं जहाँ मई-जून प्रजनन करते है,,!