Monday 4 August 2014

जू के साथ पक्षी विहार की सम्भावना




कहते हैं कुदरत एक हाथ से लेती है,तो दूजे दे देती है,बिलासपुर के काननपेंडारी जू में वन्यजीवों के मौत के बात कुदरत ने यहाँ पक्षियों का मेला भी लगाया है. वंशवृद्धि के लिए यहाँ पहुंचे ओपन बिल स्टार्क, कर्मोरेंट,विस्लर डक.और इग्रेट, रंग भेद,ऊंच-नीच के भावना से परे,पेड़ों पर कालोनी बना कर बड़ी संख्या में डेरा डालें हैं,,! इसके साथ कुदरती पक्षी विहार इस जू के साथ विकसित होने की संभावना उदित हो चुकी है. बस जरूरत है पहल की..!
पत्रकार विश्वेश ठाकरे और कैमरामेन उमेश मौर्य के साथ भरी बरसात मैं कानन पेंडारी गया था,शेरों के शावकों को देख रहे थे तभी . इस जुलाजिलपार्क के वन्यजीवों से दिल से जुड़े अधिकारी ठाकुर ने इस परिंदों के इस मेले की जानकारी दी,फिर क्या था, हम सबका रुख इस ओर था, रिमझिम फुहार के बीच पहले आकाश में बिजली चमकी और फिर गोले जैसी आवाज से बिजली कड़की,बड़ी संख्या में चिड़िया बसेरा छोड़ आकाश में उड़ चली, इतनी चिड़िया आकाश में उड़ती देख मैं बोला. अब बरसात में आगे नहीं जाते,चिड़िया तो उड़ गईं,पर श्री ठाकुर ने कहा- ये तो कुछ नहीं,चलिए वहां इससे ज्यादा पेड़ों पर होंगी, राह में पानी का सांप भी मछली की घात में दिखा,,!
जब तालाब के किनारे पहुंचे तो देखा, लगा मानों 'भरतपुर पक्षी विहार' के किसी कोने में हैं ,ये सारे पक्षी भारतीय है और स्थानीय प्रवास पर हैं, पर इसके आकार को देख न जाने क्यों प्रवासी विदेशी पक्षी माना लिया जाता है,,! चौमासा व्यतीत कर अपनी नई पीढ़ी के साथ ये उड़ जायेंगे,कुछ यहाँ रह जायेंगे ,,कुदरत ने तो मेला रच दिया ..अब कानन जू प्रबंधकों की बारी है,, करीब सात एकड़ के इस तालाब में शीतकालीन प्रवासी परिंदों को आकर्षित करने कुछ बत्तख यहाँ रखी जाए कुछ जलीय वनस्पति हो, परिंदों की सुरक्षा यहाँ है,यहाँ साल दर साल विदेशी परिंदे पहुँचने लगेंगे..ये इस क्षेत्र के तालाबों में हर साल आते है,पर ,उनकी संख्या और प्रवास के दिनों में कमी होती जा रही है,,वह भी कुछ परिमार्जित होगी..![फोटो- जितेन्द्र ठाकुर से]

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