Wednesday 24 September 2014

दिल्ली जू के दुर्दिन

मेनका गाँधी ने केन्द्रीय राज्य मंत्री के रूप में काम कर दिल्ली जू के ऊँचे दर्जे का बना दिया था आज वो सिलसिला होता तो सफ़ेद बाघ में बाड़े में कल गिरे युवक को कदाचित बचाया जा सकता था.
1. फोटो में युवक जिस जगह पर भयभीत बैठा है,और बाघ खड़ा है मेरे को लगता है ये दीवार के बाद खाई है जिसमें पानी होना था.. जिससे बाघ और सैलानी के एक सुरक्षा परत और बनती पर ये बारिश के दिनों फोटो में भी सूखी दिख रही है..!
2.युवक के करीब पन्द्रह मिनट तक नहीं मारा और जू प्रबन्धन उसे बचा न सका,,शायद कोई कारगर इंतजाम भी न थे.. !
बच सकता था युवक अगर ये इंतजाम होते ..!
अ. गन से धमाके किये जाते या धरपटक फटके फोड़े जाते, जो जू कीपर के पास होने थे..
ब. वाटर केनन के बंदोबस्त होता तो उसकी बौछार से बाघ भीगने से बचने भाग जाता, मैंने बिलासपुर के जू में बाघ और बाघिन में लड़ाई में इसका उपयोग देखा है किस तरह दोनों हिंसक लड़ाई बंद कर देते हैं ,,इसकी फिल्म मौजूद है .!
इस हादसे से दो बात साबित हो गयी है. पहला की जू प्रबन्धन की सोच कम,बचाव के इंतजाम कम है और चिड़ियाघर में जन्म रहे सफ़ेद बाघ में शिकार की सहज आदत मरती नहीं,,!
सन 1950 के करीब रीवा के महाराज मार्तण्ड सिंह ने जंगल से पहला सफेद शावक पकड़ा जिसका नाम मोहन दिया गया,जू के सारे सफ़ेद बाघों का वो पूर्वज है .!
मेनका गाँधी जब पर्यावरण राज्य मंत्री थी तब उद्योगों पर सख्ती बरत रही थी इस लाबी ने एक बड़ी लकीर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री के रूप में खिंचवाई और मेनका गाँधी का कार्य क्षेत्र बस दिल्ली का चिड़िया घर कर दिया गया ,,तब कार्टून में मेनका को चिड़ियाघर के एक पिंजरे में बंद दिखाया गया ..जवाब में मेनका ने कहा-मुझे जो काम दिया गया है बेहतरी से करुँगी और इस जू को दुनिया का में बेहतर जू बना दूंगी ..और उन्होंने इसका कायाकल्प करके दिखाया ..! फोटो नेट की है]

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