Saturday 6 December 2014

चीतल के शावक ठण्ड में हुए




'' कुदरतबिगाड़ती है, तो संवारती भी है,उसने शिकार और शिकारी के बीच बराबरी का खेल रचा है !!
बीते साल ठंड में बिलासपुर के चिड़िया घर कानन पेंडारी में 21 मादा चीतल और उनके छौनों की मौत हुई थी,तो इस बार यहाँ ठण्ड में एक पखवाड़े में सात छौनों का जन्म हो चुका और उनका परिवार बढ़ कर 47 हो चुका है,कुछ छौने और होने वाले है ,,! इनकी ममता में अपने पराये का बच्चों के साथ कोई भेद नहीं.. माँ दूजे के बच्चे को भी अपना दूध पिला देती हैं ,!
चीतल के छौने जन्म लेने के बाद आधे घंटे में खड़े हो जाते हैं, और चौबीस घंटे में कुछ दौड़ने योग्य ,,कुदरत ने ये खूबी इसलिए दी है की वो हिंसक जीवों से अपनी रक्षा कर सकें,जब कि हिंसक जीवों की शावक अविकसित जन्म लेते हैं,आँखे बंद और लाचार से ..यदि वो चीतल के छौने की तरह विकसित होते तो माँ शिकार के लिए गर्भावस्था में फुर्ती खो बैठती ,,! वाह रब.. तेरा निजाम, उसको सलाम ..!!
[फोटो सौजन्य- टीके जायसवाल ]

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