Saturday 21 March 2015

बार-नवापारा सेंचुरी जहाँ वन्यजीवों की कमी नहीं




यहाँ प्रकृति अपनी आदिम अवस्था में जीती है,244 वर्ग किमी के इस में सैलानी जैवविविधता और वन्यजीव जीवों की प्रचुर संख्या देख तृप्त हो जाता है,छत्तीसगढ़ के किसी अन्य अभयारण्य में इतने वन्यजीव नहीं दिखते,वो भी विविध प्रजातियों के..! 
इस सेंचुरी की दायरा बढाया जाना प्रस्तावित है, जिसके मुताबिक बार-नवापारा 454 वर्ग किमी की हो जायेगी, यहाँ हर मोड़ पर कोई वन्यजीव मिलना तय है, बाघ के मामले में इस लैडस्केप में आठ बाघ का होना बताया गया हैं.पर इस पीढ़ी में कभी किसी ने बाघ नहीं देखा,मेरा तो विश्वास हो चला है कि हरियर छ्तीसगढ़ में बाघ का जो आकड़ा बताया जाता है वो फर्जी है,जबकि जंगल आलादर्जे का है.बार नवापारा में नीलगाय, बाईसन,चीतल,सांभर,तेंदुए,खरगोश बहुत है, भालू महुआ खाते दो बार मिला.! मोर, हरियल जगंली मुर्गी, भीमराज के अतिरिक्त जलीय पक्षी भी स्वप्निल संसार रचते है. 

प्रवासी हाथियों में इस सेंचुरी में और इसके इर्द-गिर्द डेरा डाले है. 'गजराज परियोजना' में बार नवापारा को लिया जाना अब जरूरी हो गया है, यहाँ किसी नेशनल पार्क से बाघ लाने की योजना बलौदा बाजार केडीऍफ़ओ एस के बड़गैया लाने की सोच बनाये है,उसके लिए प्री-बैस तो है पर ये संभव नहीं लगता.सेंचुरी में तालाबों में पानी बना रहे इसके लिए सौरऊर्जा चलित पंप चल रहे है,ये वानकी के लिए अन्य सेंचुरी जहाँ नहीं वहां भी लगाये जाने चाहिए..बार-नवापारा का गाँव नवापारा अब सेंचुरी से विस्थापित हो गया है ,,सैलानियों के लिए और भोजन और भ्रमण के लिए सुविधा उपलब्ध है, पक्षी-विहार विकसित किया जा रहा है जिसका भ्रमण सैलानी वन्यजीव देखते हुए साइकिल से करेंगें !!


हाँ तो क्या कर रहे आप अवकाश में.
कुछ दिन तो गुजरे प्रकृति के पास में ..!

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