Monday 19 May 2014

गांगेय डाल्फिन के अच्छे दिन आने वाले हैं



राम तेरी गंगा मैली', अब नरेंद्र मोदी ने माँ गंगा को,साबरमती के समान स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया है, चुनाव में विजय बाद गंगा आरती के लिए पहुंचे मोदी ने स्वच्छता के बात दोहराई और काशीवासियों को भी इस तरफ आव्हान किया..!

गंगा में मीठे पानी की डाल्फिन रहती है, इनको गांगेय डाल्फिन [स्विस] कहा जाता है, गंगा यदि प्रदूषण मुक्त होती है तो ये घोषित देश का जलीय जीव के विलुप्ति के कागर से बचाया जा सकता है..मैंने पाकिस्तान के सिंध के सक्खर में देखा, किस प्रकार सिंघु नदी में शहर के पानी फ़िल्टर बाद निर्मल जल बन कर नदी में प्रवाहित किया जाता है..! सिन्धु नदी के किनारे इस शहर में डाल्फिन के लिए संचेतना है और यहाँ इन जलीय जीवों को बचाने के लिए परियोजना भी संचालित है.

गंगा के किनारे स्थापित कारखानों का प्रदूषित पानी, शव,फूल से माँ गंगा मैली हो चुकी है, जिस वजह गंगा में डाल्फिन के संख्या निरतंर कम हो रही है, 1982 में ये 4 से 5 हजार बची थी, आकड़ों के मुताबिक 2005 में ये उत्तरप्रदेश में 500 के करीब रह गई थी. बीबीसी और 'डब्ल्यूडब्ल्यूएफ' गांगेय डाल्फिन के आसन्न संकटग्रस्त होने पर चिंता व्यक्त करते रहे हैं..!

माँ गंगा को बचाने के लिए त्वरित काम शुरू हो तो गांगेय डाल्फिन के भी अच्छे दिन आ जायेगे ..पर यदि अब तक करोड़ों की राशि गंगा को बचाने जिस तौर से व्यय की गई अगर वही हाल बना रहा तो से संवेदनशील जलीय प्राणी को बचाना नामुमकिन हो जायेगा ,!

1 comment:

  1. बहुत दिनों के बाद मीठे पानी के डॉल्फिनों के बारे में पढ़ने को मिला. सुन्दर जानकारी. आभार.

    ReplyDelete