Monday, 22 June 2015
Wednesday, 17 June 2015
गोह ने अपने को बचा रखा ..
गोह को बरसों बाद उसी स्थान पर विचरण करते देख आस बंधी की कुछ जीव छिप कर वजूद बनांये है, शहर से लगे मेरे कृषि प्रधान गाँव मंगला में अपने खेत जाते समय गोह [कॉमन इन्डियन मोनिटर लिजार्ड] और कुत्ते को आपस में खेलते देखा ,गोह पूंछ से वार करता और कुत्ता हट जाता.. दोनों किसी को हानि नहीं पहुंचा रहे थे ,, मुझे देख गोह झाड़ी में जा छिपा और कुता बाहर खड़ा हो गया,.. फिर बरसों खेतों से लगभग कटा रहा लेकिन फोटोग्राफी के शौक ने फिर खेत पहुंचा दिया है..!
इस बार गोह की फोटो के दौरान एक बात देखी जिसे शेयर कर रहा हूँ- इसकी चमड़ी में काफी झुर्री होती हैं, जिसका उपयोग ये शरीर का आकार बदलने में बखूबी करता है ,,मुझे ये बैठा दिखा,तब छोटा और मोटा दिखा,,, पर भागे समय ये लम्बा और पतला दिखा ,, शायद इसका उपयोग ये बिल में आने जाने वक्त करता होगा ,,सभी फोटो एक ही एंगल से ली गई है जिसमें भी बात जाहिर होती है ,,,!!
Wednesday, 10 June 2015
मानसून का संदेशा चातक लाया ,
मानसून के पहुंचने में अब देर नहीं ।मानसून का दूत चातक ( Pied crested Cuckoo) जिसे पपीहा कहते हैं पहुंच चुका है। मानसून पहले की बारिश आज शाम बिलासपुर में हुई।
हर साल मई माह के अंतिम सप्ताह में आने वाला चातक आज सुबह 9 जून को मुझे बिलासपुर शहर के करीब गाँव मंगला में मेरे खेतों में पेड़ पर दिखा और मैंने उसकी फोटो भी ली है ,,
आम तौर पर इसके छतीसगढ़ आगमन के बाद आठ दस दिन में बारिश शुरू हो जाती है। सलीम अली के अनुसार इसका प्रवास अधिकतर द.पू.मानसून पर निर्भर करता है । इसकी एक प्रजाति आफ्रिका से भी आती है । मेरी ये सोच है की मानसून का वेग और बारिश से बचाने ये अपनी यात्रा पूरी कर लेता है और मानसून कब आ रहा है ये उसको सहज ज्ञान होता है .
पपीहा बादल देख पेड़ से पियू पियू की रट लगता है।इल्ली और छोटे फल इसकी आहार तालिका में शामिल हैं ।
बारिश के लिए उसकी इस रटन पर हिंदी साहित्य में काफी कुछ है।
हरिवंश बच्चन ने लिखा है-
ये वियोगी की लगन है ।
ये पपीहे की रटन है ।
ये पपीहे की रटन है ।
कुछ इसे स्वाति बूंद की आस लिखते हैं।
कोयल के समान ये भी अपने अंडे नहीं सेता । बैब्लर पक्षी जिसे सतबहनी भी समूह में रहने के कारण कहा जाता वे इसके अंडे सेते हैं । जो इधर काफी हैं. आम तौर पर चातक नीची उड़ान भरता है पर बारिश के अंत और शीतकाल में चातक अपनी वंशवृद्धि कर ऊँची उड़ान भरते वापस हो जायेगा।
कोयल के समान ये भी अपने अंडे नहीं सेता । बैब्लर पक्षी जिसे सतबहनी भी समूह में रहने के कारण कहा जाता वे इसके अंडे सेते हैं । जो इधर काफी हैं. आम तौर पर चातक नीची उड़ान भरता है पर बारिश के अंत और शीतकाल में चातक अपनी वंशवृद्धि कर ऊँची उड़ान भरते वापस हो जायेगा।
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