Wednesday 10 June 2015

मानसून का संदेशा चातक लाया ,

मानसून के पहुंचने में अब देर नहीं ।मानसून का दूत चातक ( Pied crested Cuckoo) जिसे पपीहा कहते हैं पहुंच चुका है। मानसून पहले की बारिश आज शाम बिलासपुर में हुई।
हर साल मई माह के अंतिम सप्ताह में आने वाला चातक आज सुबह 9 जून को मुझे बिलासपुर शहर के करीब गाँव मंगला में मेरे खेतों में पेड़ पर दिखा  और मैंने उसकी फोटो भी ली है ,,

आम तौर पर इसके छतीसगढ़ आगमन के बाद आठ दस दिन में बारिश शुरू हो जाती है। सलीम अली के अनुसार इसका प्रवास अधिकतर द.पू.मानसून पर निर्भर करता है । इसकी एक प्रजाति आफ्रिका से भी आती है । मेरी ये सोच है की मानसून का वेग और बारिश से बचाने ये अपनी यात्रा पूरी कर लेता है और मानसून कब आ रहा है ये उसको सहज  ज्ञान होता है .
पपीहा बादल देख पेड़ से पियू पियू की रट लगता है।इल्ली और छोटे फल इसकी आहार तालिका में शामिल हैं ।
बारिश के लिए उसकी इस रटन पर हिंदी साहित्य में काफी कुछ है।
हरिवंश बच्चन ने लिखा है-
ये वियोगी की लगन है ।
ये पपीहे की रटन है ।
कुछ इसे स्वाति बूंद की आस लिखते हैं।
कोयल के समान ये भी अपने अंडे नहीं सेता । बैब्लर पक्षी जिसे सतबहनी भी समूह में रहने के कारण कहा जाता वे  इसके अंडे सेते हैं । जो इधर काफी हैं. आम तौर  पर चातक नीची उड़ान भरता है पर  बारिश के अंत और शीतकाल में चातक अपनी वंशवृद्धि कर ऊँची उड़ान भरते वापस हो जायेगा।

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