Wednesday 17 June 2015

गोह ने अपने को बचा रखा ..



गोह को बरसों बाद उसी स्थान पर विचरण करते देख आस बंधी की कुछ जीव छिप कर वजूद बनांये है, शहर से लगे मेरे कृषि प्रधान गाँव मंगला में अपने खेत जाते समय गोह [कॉमन इन्डियन मोनिटर लिजार्ड] और कुत्ते को आपस में खेलते देखा ,गोह पूंछ से वार करता और कुत्ता हट जाता.. दोनों किसी को हानि नहीं पहुंचा रहे थे ,, मुझे देख गोह झाड़ी में जा छिपा और कुता बाहर  खड़ा हो गया,..  फिर बरसों खेतों से लगभग कटा रहा लेकिन फोटोग्राफी के शौक ने फिर खेत पहुंचा दिया है..!

दो दिन हुए करीब उन्ही लेंटाना की झाड़ियों के पास मुझे एक गोह दिखा दिया, जब तक वो वापस जाता चार फोटो मिल गए, काफी साल पहले मैंने देखा साबरिया किस तरह गोह का शिकार सब्बल से खोद कर करते है,,एक बार देखा की गोह की पूँछ को उसके गले में बांध कोई शिकारी गोलाकार बनाये लाठी में डाल सात -आठ गोह लिए सड़क से जा रहा था ,,,सुना है कुछ लोग गोह को खाते हैं और चमड़े से चिकारा जैसा कोई वाद्ययंत्र बनाते थे ,,! गोह वन्य जीव अधिनियम में संरक्षित है पर इसकी संख्या में कमी हुई है, ये बात और है की मंगला गाँव में इसने अपने को बचा रखा है ,,!

इस बार गोह की फोटो के दौरान एक बात देखी जिसे शेयर कर रहा हूँ- इसकी चमड़ी में काफी झुर्री होती हैं, जिसका उपयोग ये शरीर का आकार बदलने में बखूबी करता है ,,मुझे ये बैठा दिखा,तब छोटा और मोटा दिखा,,, पर भागे समय ये लम्बा और पतला दिखा ,, शायद इसका उपयोग ये बिल में आने जाने वक्त करता होगा ,,सभी फोटो एक ही एंगल से ली गई है जिसमें भी बात जाहिर होती है ,,,!!

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