Saturday 31 January 2015

गिधवा पक्षी विहार




''छतीसगढ़ में प्रस्तावित गिधवा पक्षीविहार इन दिनों.देसी-विदेशी जलीय परिंदों से गुलजार . पक्षी प्रेमी यहाँ कैमरे-दूरबीन ले कर पहुँच रहे हैं.इस इलाके के गाँव वाले परिंदों के प्रति अनुराग रखते है.सचिव श्री कुर्रे ने बताया की गाँव में मुनादी करा दी गई है की परिंदों को कोई परेशां न करें ,,पर इनके संरक्षण के लिए वनविभाग के प्रयास और सोच नाकाफी लगी ,,! 
गिधवा; बेमेतरा जिले में है ,,हम बिलासपुर से रायपुर सड़क मार्ग पर शिवनाथ नदी के पुल से मुंगेली की राह पर निकले और आठ मिल दूर गिधवा पहुचें,,जलीय परिदों को बीस प्रजाति यहाँ दो तीन हज़ार से आधिक होगी ,,इसमें नीचे इस इलाके में चार दशक बाद नजर आये 'स्पून बिल जोड़े' की फोटो दे रहा हूँ ,,ये फोटो करीब 400 मीटर दूरी से शक्तिशाली कैमरे से गई है ,,!
गिधवा में क्या होना चाहिए,,!


1.यहाँ दो बड़े जलाशय सहित समीप परसदा के तालाब को संचुरी की अधिसूचना जारी करके वन सेंचुरी का अमला पदस्त किये जाने को प्रकिया शुरू होना चाहिए,,!
2.इन तीनों जलाशय को जलकुम्भी से बचाना होगा ,,जो अभी नहीं है,,
3. गिधवा का छोटा जलाशय गर्मी के दिनों सूख जाता है ,,और जलीय पक्षी चले जाते है ,,ये इस साल से न सूखे इसके लिए ट्यूबवेल लगाये जाने चाहिए ,,! गाँव में बिजली है ,,!
4. पता चला वन विभाग मेड पर फलदार पेड़ लगाने वाला है ,भरतपुर पक्षी विहार राजस्थान[. को आदर्श मानते हुए बबूल को और बढायें और फलदार पेड़ इस गाँव में कही और लगाये..
5 मेड पर मवेशी चराई रोकना होगा ,,निस्तारी के लिए सिमित घाट तय कर दें ताकि मेहमान परिंदे परेशां न हो ..!

Wednesday 21 January 2015

क्या होली को तोता जानता है ,,



बचपन में कहानी पढ़ी थी -अकाल में सारे परिदें उड़ कर दूजे देश चले गए पर तोता सूखे पेड़ में चोंच से पानी ला कर डालता रहा पेड़ जीवित हो गया ,,,फिर यही पेड़ और उसका कोटर उसका आशियाना बन गया ,,! अफासनों की दुनिया से आये हकीकत में ,,!
कुछ दिन पहले डाल में बैठे तोते का जोड़ा दिखा था ,कल मुझे वो कम्पनी गार्डन में 'पाम' के सूखे पेड़ पर अपना आशियाँ खोज किये मिले,,,! सलीम अली- के मुताबिक ये तोते फरवरी में घर बसते है,जो जगह के अनुसार आगे-पीछे हो सकता है ,,बरसों पहले मुझे किसी बहेलिये ने बताया था,,होली के पहले कोटर से नवजात तोते उड़ान भर जाते है ,,उसके मुताबिक तोतों को पता होता है की होली पर सूखे पेड़ों की कटाई जलने के लिए होती है ,,!!

Thursday 8 January 2015

जैव विविधता पर सन्दर्भ ग्रन्थ डा जेना ने लिखा


डा.सुरेश चन्द्र जेना की किताब A GLIMPSE OF BIO-DIVERSITY शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए आवश्यक संन्दर्भ ग्रन्थ बन कर आई है ,!
320 पेज की इस पुस्तक में रिटायर्ड PCCFडा.जेना ने चिड़ियों,वन्यजीव,जलचर,तितली और मोथ फूल तथा दीगर वनस्पति जगत का आवश्यक परिचय कराया है ,,उनके नाम वैज्ञानिक शब्दावली के अलावा अंग्रेजी और क्षेत्रिय बोली में भी चित्रों के साथ दिए गए है,,कोई ढाई दशक से मेरे मित्र डा.जेना कुशल फोटोग्राफर भी है ,,नई पीढ़ी के लिए इस शानदार सन्दर्भ ग्रन्थ डा.जेना को बधाई, वो अब रायपुर [छतीसगढ़] में बस गए है, उनका मोबाईल न है ,,,098261-59944..