अचानकमार टाइगर रिजर्व में अचानकमार-विन्दावल गाँव के बीच सड़क के किनारे इस
स्मारक में लिखा है.-यहाँ मैकू गोंड़ फायरवाचर को आदमखोर शेरनी [बाघनी] ने
10-4-1949 को मारा था,जिसे तारीख 13-4-49 को एम् डब्लू के खोखर रेंज अफसर कोटा ने 'मरी' पर बैठ के गोली से मारा...आज भी ये इलाका बाघ का है. पर इन दोनों गाँव में बहुतेरों को बाघनी
के मैकू को मरने और फिर उसे खोखर साहब द्वारा मचान से गोली मरे जाने की कहानी आज भी जुबानी है.
शिकार की इस दास्ताँ को
शिकारी वहीद खान खोखर ने अपने अन्य अनुभव के साथ किताब में लिखा था. जिस अविकल
मेरे पत्रकार मित्र राजू तिवारी ने अपने प्रकाशन में नया कलेवर दिया है. कुछ माह
पहले मैं मित्र डा.चन्द्रशेखर राहालकर,और लखनऊ ने आये लेखक मोहन सर के साथ
विन्दावल गाँव पहुंचा था. इस बाघनी के विषय में बताया गया कि उसके खौफ से गाँव में
रहना कठिन हो चला था.ये इलाका बिलासपुर से अमरकंटक की सड़क पर पड़ता है.
बाघनी दवारा मैकू का शिकार –-> उन दिनों आदमखोर बाघनी एक के बाद एक आदमी मार रही थी.फायर वाचर मैकू अपने फायरवाचर साथी परसादी के साथ
सड़क के किनारे सूखे पत्ते हटा रहा था.बाघनी करीब दीमक की बाम्बी [छोटे से टीले ] के पीछे घात लगा कर छिपी थी. उसने परसादी के सिर के ऊपर से
छलांग लगाते हुए मैकू को गर्दन से पकड़ कर एक झटके में ही गर्दन तोड़ दी,फिर वो परसादी
पर झपटी लेकिन वो कुछ दूर निकल गया था ,.वापस आकर बाघनी ने मैकू! को घसीट कर जंगल में ले
गई .
बाघनी का रेंज अफसर दवारा शिकार--->रेंज अफसर वहीद खान खोखर को जब ये
पता चला तो वो पांच सौ बोर की राइफल और बारह बोर की गन के कर कोटा से मौके पर पहुंचे.लेकिन बाघनी को मारने की योजना जो बनाई जाती वो कामयाब न होती,खौफजदा हो कर एक स्थनीय शिकारी भी साथ छोडकर चला गया. तब मैकू की काफी खाई लाश को पेड़ से बांध कर [ताकि बाघनी खींच कर न ले जा सके] करीब के पेड़ पर मचान बनाया गया .उनके साथ धनुआ पनका पैसे व इनाम के प्रलोभन लिय मचान में बैठ गया. मचान. मचान 18 फिट की ऊंचाई पर बंधी गई थी , बाघनी मैकू की बची लाश को खाने दबे पाँव आई. कुछ लम्हे बाद मचान से रौशनी के साथ गोली चली और घायल हो के बाघनी जंगल भाग निकली .सुबह होने पर कुछ दूर ही झाड़ियों में वह मरी हुई मिली ,उसे मरा देख वनवासियों में जश्न मनाया. ये बाघनी और भी लोगों को अपना शिकार बना चुकी थी.
आदमखोर होने का कारण—>बाघनी के अगले पंजे में कभी गोली लगी थी ,घाव तो भर गया था पर इस वजह
वो फुर्तीले जंगली जानवर पकड़ने में असमर्थ हो गई परन्तु मनुष्य सहज पकड़ने की वजह आदमखोर हो गई थी .इस शिकार के बाद खोखर को पुरस्कृत किया गया और इस स्मारक को बनाये जाने की अनुमति दी गई.
फेक्ट फ़ाइल्-->
1. मैकू हट्टा-कट्टा ,अविवाहित जवान था. शिकार के बाद बाघनी एक से अधिक बार उसे खाने आई.
2. कुछ बाघों का शिकार कर चुके गवारु पंडित की हिम्मत जबाव दे गई थी और उसने इसके शिकार में खोखर साहब का साथ देने से इंकार कर दिया था.
3.गोली पांच सौ बोर की राइफल से चलाई गई थी. इस बघानी को पहले कभी एलजी का छर्रा अगले पंजे में लगा था .घाव तो भर गया था,पर ये पैर कमजोर हो गया था.
4. बघानी 9 फिट लम्बी थी..बाघ को पूंछ से नाक तक की लम्बाई में नापा जाता है.
फेक्ट फ़ाइल्-->
1. मैकू हट्टा-कट्टा ,अविवाहित जवान था. शिकार के बाद बाघनी एक से अधिक बार उसे खाने आई.
2. कुछ बाघों का शिकार कर चुके गवारु पंडित की हिम्मत जबाव दे गई थी और उसने इसके शिकार में खोखर साहब का साथ देने से इंकार कर दिया था.
3.गोली पांच सौ बोर की राइफल से चलाई गई थी. इस बघानी को पहले कभी एलजी का छर्रा अगले पंजे में लगा था .घाव तो भर गया था,पर ये पैर कमजोर हो गया था.
4. बघानी 9 फिट लम्बी थी..बाघ को पूंछ से नाक तक की लम्बाई में नापा जाता है.
सर जी यहाँ वन वभाग ने कारनामा किया है, मैकू के दो -दो मठ बना दिए हैं एक तो दशकों पुराना मठ है, दूसरा अभी हाल के बरसों में बना है. आपकी इस पोस्ट में नए मठ की तस्वीर है.
ReplyDeleteरोमांचक.
ReplyDeleteशब्द पुष्टिकरण हट जाने से अब टिप्पणी करना सुगम हो गया है.
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