धरती का सबसे तेज धावक व शिकारी चीता [cheeth] कभी भारत में था. अंतिम तीन चीते छतीसगढ़ की कोरिया रियासत 1948 के आसपास मारे गए.. फिर कभी भारत मैं चीता नहीं दिखा.अब वो ईरान और अफ्रीका में ही शेष है.
बिल्ली की ३६ प्रजातियों मैं चीता भी शामिल है.समान्यता तेंदुए को ही चीता मान लिया जाता है, पर काले धब्बे में अंतर और चीते की आंख के जबड़े तक दोनों तरफ काली लकीर होती है. कोरिया रियासत का तत्कालीन राजा कुशल शिकारी व प्रजापालक था . उसके राजमहल में देसी-विदेशी जानवरों की ट्राफी का आनोखा संग्रहालय आज भी देखने लायक है..बताया जाता है की रात शिकार के दौरान ये तीनों चीते साथ मारे गए थे.. तीनों नर थे,और पूरी तरह जवान भी न थे, तब माना गया कि , इनके माँ- बाप जीवित होंगे,पर वो कभी न दिखे.
आज जब देश में चीते को फिर से बसने की बात की जा रही है, तो कोरिया[ बैकुंठपुर] का दावा प्रबल है,क्योंकि यहाँ चीते के लिए आदर्श परस्थितियाँ मौजूदा हैं.[राहुल सिंह जी,आपने टिप्पणी में जो चूक बताई थी सुधार दी है, आभार ]
SO NICE BHAI SAHAB
ReplyDeleteकोरिया रियासत में अंतिम तीन चीते मारे जाने की तिथि (१९८४) में संदेह हो रहा है, यह जानकारी सालिम अली की आत्मकथा में भी है, उन्होंने सरगुजा महाराज द्वारा 1170 से अधिक बाघ मारे जाने की बात भी लिखी है. मैंने यह उल्लेख इस लिंक पर किया है.
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