Monday 18 January 2016

वन्यजीव प्रबंधन पर लगा सवाल .

चार दिनों से घायल बाइसन की इलाज के बिना मौत होने की खबर 'नईदुनिया बिलासपुर' के आज के अंक में में वनविभाग के 'असम्वेदनशील' अधिकारियों के रुख की खबर पढ़ कर ये पोस्ट जरूरी लग रहा है, इलाज के लिए कानन पेंडारी जू के डाक्टर चन्दन मौके पर पहुंचे थे पर उनको इलाज के लिए इसे बेहोश करने की अनुमति टाइगर रिजर्व के अधिकारियो ने नही दी थी ,,!! ये बाइसन अचानकमार टाइगर रिजर्व से लगे शिवतराई के जंगल में था और ये इलाका वन विकास निगम के अधीन है,वन्यजीव एक इलाके से दूसरे इलाके विचरण करते है,,! शिवतराई में पार्क देखने आने वाले सैलानियों के लिए आवसीय सुविधा रखी गई ही ,,!
शिवतराई  के इलाके में इस विशाल जीव के पैरों में घाव और बीमारी की खबर पहले छप चुकी थी पर किसी ने उसे बचने कुछ नहीं किया और उसकी मौत के बाद वन विभाग के अफसरों के जो बयान आज नई दुनिया में प्रकशित हैं वो अविकल आपके समक्ष प्रस्तुत हैं- 
1 बाइसन वन विकास निगम के एरिया में था. उपचार के लिए उनको प्रयास करना था,ये उनकी जवाबदारी में शामिल है. केवल निगम ही नहीं, वन मंडल की भी यही जिम्मेदारी थी.
[तपेश झा, डायरेक्टर अचानकमार टाइगर रिजर्व]
2. बाइसन बीमार था, उसे इलाज की आवश्यकता थी. जिसकी सूचना अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबन्धन को दे कर मदद मांगी गई थी,,रविवार को उसकी मौत हो गई...!
[ क्यू खान एसडीओ वन विकासनिगम,]
भगवान मृत बाइसन की आत्मा को शांति और मुझे ज्ञान दे इसकी मौत का जिम्मेदार कौन है!![फोटो फ़ाइल् से है]

मीठी बोली और रंगत पक्षी का आफत बनी




सर पर ताज और लम्बी दुम के बाद जिसके दो लम्बे पंख जो पतले पर अंत में सुंदर रूप लिए, बहुत मीठी आवाज के इस पंछी का नाम भीमराज,या कहीं भृंगराज मिलता है,,जंगल में लहरेदार उड़ान भरते कभी-कभी दिखता है,,इसे अंग्रेजी में [greater racket-tailed drongo] कहते है,,! मुझे इसका जोड़ा मेरे मित्र बजरंग केडिया के भरारी फार्म हॉउस में शनिवार की शाम दिखा,, पहले एक दिखा, उसकी फोटो लिया था की उसका साथी कुछ देर बाद मिला, शाम हो रही थी और बाद दिखा पंछी एक कीड़े को खाने के बाद भांति- भांति की लम्बी सीटी बजा रहा था,कभी दूसरी और से जुगलबंदी होती,, ! मंत्रमुग्ध काफी देर तक सुनता रहा,,!
इस पंछी की सुंदर आवाज और विशेष दुम इसका दुश्मन बनी है,, पर्वतीय हिमालय इलाके की काफी समय पहले एक फिल्म में इसे पालतू कंधे पर बैठा देखा,,बस्तर में इसका बुरी तरह शिकार हुआ, यहाँ आदिवासी युवक इसकी पूंछ के लम्बे दोनों पंख अपनी पगड़ी की शोभा बढ़ने में लगते रहे है,,सुखद है कि ये अब भी बचे हैं, और कभी-कभी दिख जाते हैं,,पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने लिखा है ये पंछी मीठा बोलने वाली दूसरी चिडियों की हुबहू नकल करने में माहिर होता है,,और दुम के सिरे के दोनो अंत में पखों की खास बनावट से इसके उड़ते समय ये भ्रम होता है की दो मधुमक्खी इसका पीछा कर रही हैं,!