बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में सफ़ेद टाइग्रेस 'सिद्धि' के शावक ने आंख खोलने के पहले दम तोड़ दिया है ,पीएम रिपोर्ट में शावक के गले में माँ के दन्त गड़ना पाया गया है, सभी जानते है,जंगल में दूर तक आजाद राज करने वाला बाघ पिंजरे में तनाव में इघर-उधर बेचैनी और तनाव में रहता है,इस वजह माँ शावक का परित्याग कर देती है कभी- कभी मार देती है, ये मामला भी मुझे इस तरह का लगता है.!
इस तरह के मामले पहले भी रिकार्ड किये गए हैं,,भला कोई माँ ऐसा कर सकती है ,ये बात जेहन में आती है,, बाघ आजाद जीव है,सम्भवत वो खुद बंदी होने के बाद भी अपने शावक के ये जिन्दगी नही देना चाहती..! एक सवाल है यह भी है की करीब 56 साल से पिंजरे में रह रहे सफ़ेद बाघों की जंगल में वापसी कब होगी..या फिर इनको शाप है कि.. सारी पीढियां उम्र कैद सारे जू में कटेंगी..!इस तरफ कोई कदम नही उठता दिखाई देता, जंगल का कर्ज व्याज सहित अदा करना होगा ,! पर ये जटिल काम है,,!
विश्व टाइगर दिवस पर ये संकल्प तो लिया जा सकता है कि, टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों से प्रेम रखने वाले प्रशिक्षित लोग ही काम करेंगे न की बारह्सिंधा और नर चीतल में अंतर न समझने वालों को पदस्थ किया जाये..! और सभी स्माल जू में अधिकार सक्षम क्यूरेटर की नियुक्ति की जाए और नासमझ अधिकारों के अधिकारों को विदा किया जाए जो किसी भी वन्यजीव की मौत का कारण लालबुझकड की तरह बूझ कर मीडिया को भी गुमराह करते हैं,,!
सेंचुरी से गुजरने वाली सड़क पर रात दिन आवजाही,उनके आवास में खलल डालती हैं, गाँव टाइगर रिजर्व में जमें हैं, केटल कैम्प हटाओ तो फिर बस जाते हैं, सैलानियों और फोटोग्राफी के शौक ने जानवरों को अर्धपालतू बना दिया है.सही तरह से पता नही कितने वन्य जीव किस सेंचुरी में हैं ,पर आस जीवित है की बाघ को बचाना है, कोई नहीं हम ही उसे बचायेंगे [सेव टाइगर]