Thursday 23 April 2015

ह्रदय परिवर्तन ,शिकारी की हुई औलाद ,



पुनीलाल जाति से शिकारी है और बिलासपुर से सात किलोमीटर दूर गाँव जौकी में रहता है, इस माह जंगल से वापसी के दौरन मैं और श्याम कोरी 'उदय' चिड़ियों की फोटो खींचने उसके घर के पास रुके तब इससे पहचान हो गई और चर्चा में जो कहानी सामने आई अविकल ये है,,

पुनीलाल का विवाह चुका था और वो फन्दे से तीतर-बटेर पकड़ कर शहर में खाने के शौकीनों को बेचा करता था, शिकार को सधे बैल की से फंसाता और पंख तोड़ थैले में रखते जाता,,शादी के ग्यारह साल हो चुके थे. पर कोई औलाद न हुई,आखिर एक दिन कुलदेवी की पूजा करते हुए ये भान हुआ कि चिडियों के प्रति क्रूरता के कारण ही वो ये दुःख झेल रहा है,फिर उसने 'तीतर-बटेर' और दीगर परिंदों को पकड़ना छोड़ दिया.. अगले साल लड़का हो गया,, आज करीब 65 साल की उम्र में तीन लडके और एक लड़की का भरा-पूरा परिवार है जिसमें साथ नाती है,,!

इसमें विवाह कुछ जल्दी हो जाता है,पुनीलाल ने कहा- 'पेट ने नया रोजगार सिखाया' और और छीन्द पत्ते के चटाई-झाडू बनाने,लगा और उसके आंगन में तुलसी का पौधा है और गोदाम छींद की पत्तियों से भरा, किसी वन अधिकारी ने उसे राह दिखाई और मालवाहक ऑटो खरीद लिया जिससे वो छीन्द की पत्तियां बेलगहना से ले कर आता है..!! परिवार के लोग सब चटाई और झाडू बनाते है जिसका बाजार अच्छा है..! उसे परिंदों के प्रवासकाल का ज्ञान है, पर उनको पकड़ने से तीन तौबा की है,,एक टूटा जाल बीते अतीत की याद दिलाते पड़ा था जो फोटो में दिख रहा है..!!