मेघ कुछ देर से सही पर,जन्म मरण का चक्र कहाँ रुकता है? पेड़ पर पत्ते बन परिंदों ने सुरक्षित ठिकाने पर अपनी अनोखी कालोनी बना ली है,इनमे कोई रंग भेद नहीं,काले कर्मेरेंट[पन कौवा है,सफेद इ ग्रेट याने सफ़ेद बड़े बगुले..और हैं-ओपन बिल स्टार्कजिसका बड़ा आकार देख प्रवासी सरस कहने कभी भूल करते हैं,,! परिंदों के कलरव से इस टापू में रौनक आ गई है !
ये कालोनी है अंग्रेजों दवारा बनाया गया खुटाघाट का निर्जन टापू चारों तरफ पानी,किले के समान महफूज़, बिलासपुर से कोई तीस किमी दूर,राह में माँ महामाया की नगरी रतनपुर जहाँ सदियों कलचुरियों ने राज किया,हर साल परिंदे इस टापू पर वंशवृद्धि करते है,,!गर्मी के ये दिन अधिकांश परिंदे वंश बढ़ाते है, उनके अंडे के लिए जरूरी ताप मिलता है और चूजे निकने के लिए नमी भी. बारिश पिछड़ गई तो भी इस जलीय इलाके कई नमी काफी होगी.! जिससे उनके बच्चे अंडे में नहीं सूखते न निकलते समय छिलके से चिपकते ..!
वाह रहे कुदरत और तेरा निजाम ,,! जिनका कोई नहीं उनका रब होता है,जो इन जीवों को भी जरूरत पूरी करता है और महफूज रहने कई लिए अक्ल देता है ..!! हाँ एक और बात ये फोटो मुझे संजय शर्मा जी से मिली हैं जो इन दिनों राहुल सिंह जी के नक़्शे कदम पर कैमरा लिए चल रहे हैं..उनका आभार''!