अगर मन
में उत्साह हो तो मौसम की क्या मजाल जो हौंसला कम कर सके, नई
पीढ़ी को जंगल से परिचय करने और प्लास्टिक के अवगुणों को बताने वन्य प्राणी सप्ताह पर
नेचर क्लब के प्रमुख सदस्य अचानकमार टाइगर रिजर्व अपने साथ ले गए थे. जाती हुई
बरसात आज जाम कर बरस रही थी। बस और कारों का काफिला जब बरीघाट पहुंचा तो बादल
पर्वत पर छाए थे। लगा हिमाचल की छ्टा यहाँ बिखेर रही है।
अचानकमार के एक हाल में शालेय बालक-बालिकाओं
को पार्क के असि. डायरेक्टर श्री चटर्जी,विवेक जोगलेकर,प्रथमेश
मिश्रा, ने संबोधित करते हुए जंगल और वन्यजीवों के महत्व को
प्रतिपादित किया। कुछ समय बाद रिमझिम फुहारों के बीच सड़क से जत्था बना का
जैवविविधता से परिचय का दौर शुरू हुआ। मैकू मठ के उस स्मारक को नयी पीढ़ी ने
जिज्ञासा से देखा जहां मेकू गौंड को बाघनी ने अपना शिकार बनाया था और फिर रेंजर
खोखर ने उस बाघनी को मचान से गोली मार के मार डाला था। बाद विंदवाल वनयगांव में सौर ऊर्जा से विद्युतीकरण
को भी जत्थे ने देखा,और जनजातीय सभ्यता से अवगत हुए।
अब शुरू हुआ जत्थे बार कर मानियारी नदी तक पैदल चलने
का दौर,कोई तीन किलोमीटर की इस राह में जत्थे के प्रमुखजन नई पीढ़ी की जिज्ञासा से
उठे सवालों का जवाब देते चला रहे थे. पूर्व आए सैलानियों के फैके पलास्टिक को भी
बांटोरते गए. बिलासपुर के प्रतिष्ठित स्कूल आधारशिला,बाल भारती,सिद्धिविनायक के अलावा कोटा के डीकेपी
स्कूल के कोई सौ बालक-बालिका का जंगल के प्रति रुझान देखते बना, मिलों के सफर बाद उनमें थकावट न थी।वन विभाग ने भी इस आयोजन में सक्रिय
भागीदारी का निर्वाह किया.
आयोजन को सफल बनाने मे
नेचरक्लब के संयोजक मंसूर खान,शैलेश शुक्ला,
भारतपाटिल,दिलीप सप्रे,अभिताभ गौर,गौरव मिश्रा,विक्रम धर दीवान और टीचर्स स्टाफ ने अहम
भूमिका अदा की।
बफरजोन में लकड़ी कटाई-
वापसी के दौरान सड़क पर
एक व्यक्ति पार्क के बफरजोन में लकड़ी काट कर सड़क पर करते दिखा,उसने
सराई की बल्ली कटी थी,जब उसे ललकारा गया तो वो लकड़ी छोड़ जंगल
मे भाग निकाला॥
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