''बांधवगढ़ की विश्व प्रसिद्ध टाइग्रेस सीता अपने शिकार के डेढ दशक बाद भी जानी जाती है,कभी इसे बांधवगढ़ में अपने शावकों को पाले जाने और उनके फिल्मांकन के लिए,पर ये मौका था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इण्डिया दवारा आयोजित तीन दिनी ट्रेनिंग के समापन सत्र का .
अचानकमार टाइगर रिजर्व के बफरजोन में शिवतराई गाँव में आयोजित इस आयोजन में पचास मैदानी वन कर्मियों को वाइल्ड लाइफ एक्ट की जानकारी दी गई.बताया गया शिकार या वन्यजीवों की तस्करी और होने वाले अपराधों को कैसे रोका जाए,यदि हो तब उसकी विवेचना, किस तरह तथ्य संग्रह किये जाए ताकि अदालत में आरोपी को सजा मिल सके.इसके लिए शिकारी और अधिकारी बन कर जंगल में विवेचना का प्रेक्टिकल कराया गया ..! इस तरह के आयोजन आगे भी होने की बात की गई .
समापन समारोह में बंधवगढ़ की सीता के शिकार का मामला भी उदहारण बन सामने आया गया,इस मामले से जुड़े उमरिया के वकील एस.कुमार सोनी ने भी इस चर्चित मामले का ब्यौरा दिया..वन्यजीवों के लिए कार्यरत संस्था के रीजनल हेड डा.आर पी मिश्रा ने वन कर्मियों को ट्रेनिग दी.उन्होंने सभा को बताया की अब तक उनकी संस्था बीस राज्यों के बाईस हजार कर्मियों को ट्रेंड किया गया है और आकस्मिक दुर्धटना बीमा योजना के तहत कवर किया गया है.
वनकर्मियों को टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर तपेश झा ने उपयोगी किट का वितरण किया,टाइगर रिजर्व के उप निदेशक सी एल अग्रवाल सहित वन विभाग के आला अधिकारी.पत्रकार कमल दुबे राजेश दुआ भी मौजूद थे..!
No comments:
Post a Comment