"ये कहानी उस युवा हाथी की है जो अपने दल से बिछड़ कर मीलों दूर जंगल से गुजरता हुआ अचानकमार टाइगर रिजर्व इस उम्मीद से पहुंचा,कि यहाँ सिहावल सागर में एलिफेंट कैम्प के हथनी को संगनी बना कर हरम स्थापित कर लेगा, लेकिन उत्पाती हाथी घोषित कर उसे बंदी बना लिया गया है और अब ताउम्र कैद की सजा कटेगा।
ये नर हाथी सोलह साल से बीस साल की उम्र का है ।अचानकमार टाइगर रिजर्व छतीसगढ़ के मुंगेली जिले में बिलासपुर से कोई साठ किमी पर है । अभिलेखों के मुताबिक अविभजित मप्र के अंतिम हाथी मातीन से लोरमी तक बारिश में आते थे । पिछली सदी के दूसरे दशक तक इनकी संख्या तीन सौ थी । बाद ये हाथी कम होते गये ।
लेकिन 1992-93 में बिहार और उड़ीसा से हाथी फिर आने लगे । आपरेशन जम्बो" चला कर सरगुजा में कोई एक दर्जन उपद्रवी हथियो को पकड़ा गया ।
इनमें एक सिविलबहादुर अपने हरम के साथ सिहावल सागर में रखा गया ।इसमें हथनी लाली उनकी बेटी पूर्णिमा और बाद इस पकड़ा गया एक नर हाथी शामिल हो गया ।
हाथी उन विशेष तरंगों से बात करते हैं जो हमें सुनाई नहीं देती, पर मीलों दूर तक इसकी ध्वनि जाती है ।हाथियों की पारिवारिक व्यवस्था में इन्ब्रिडिंग" न हो इसलिए दल से युवा हाथी को खदेड़ दिया जाता है । जो बाद ताकतवर बन किसी दूसरे के हरम पर काबिज हो जाता है ।
हाँ तो हमारा ये युवा हाथी मीलों का रास्ता जंगल पहाड़ तय करता हुआ टाइगर रिजर्व पहुंच गया।और उसने अपने मौलिक ज्ञान से यह भी पता लगा लिया कि पालतू हो चुके हाथी कहाँ रहते है। कठिन राह में उसने उत्पात भीं किया। जिस वजह' लाली या 'पूर्णिमा के लिए आया ये हाथी बेहोश कर पकड़ लिया गया।
इस बीच युवा होने से पहले पूर्णिमा की मौत हो गई हैं जिसके कारण को जाँच हो रही है ।पता चला है पूर्णिमा की माँ लाली बीमार और कमजोर चल रही है ।
सैकड़ों किमी का , लम्बा सफर, हरम की खोज बाद इस आशिक की नियति में अब जीवन भर गुलामीलिखी है ।जिसमें उसे साधने के लिए इस हाथी को जटिल दुखद प्रकिया से गुजरना होगा ।
( फोटो- पत्रकार अमित मिश्रा की वाल से साभार)
ये नर हाथी सोलह साल से बीस साल की उम्र का है ।अचानकमार टाइगर रिजर्व छतीसगढ़ के मुंगेली जिले में बिलासपुर से कोई साठ किमी पर है । अभिलेखों के मुताबिक अविभजित मप्र के अंतिम हाथी मातीन से लोरमी तक बारिश में आते थे । पिछली सदी के दूसरे दशक तक इनकी संख्या तीन सौ थी । बाद ये हाथी कम होते गये ।
लेकिन 1992-93 में बिहार और उड़ीसा से हाथी फिर आने लगे । आपरेशन जम्बो" चला कर सरगुजा में कोई एक दर्जन उपद्रवी हथियो को पकड़ा गया ।
इनमें एक सिविलबहादुर अपने हरम के साथ सिहावल सागर में रखा गया ।इसमें हथनी लाली उनकी बेटी पूर्णिमा और बाद इस पकड़ा गया एक नर हाथी शामिल हो गया ।
हाथी उन विशेष तरंगों से बात करते हैं जो हमें सुनाई नहीं देती, पर मीलों दूर तक इसकी ध्वनि जाती है ।हाथियों की पारिवारिक व्यवस्था में इन्ब्रिडिंग" न हो इसलिए दल से युवा हाथी को खदेड़ दिया जाता है । जो बाद ताकतवर बन किसी दूसरे के हरम पर काबिज हो जाता है ।
हाँ तो हमारा ये युवा हाथी मीलों का रास्ता जंगल पहाड़ तय करता हुआ टाइगर रिजर्व पहुंच गया।और उसने अपने मौलिक ज्ञान से यह भी पता लगा लिया कि पालतू हो चुके हाथी कहाँ रहते है। कठिन राह में उसने उत्पात भीं किया। जिस वजह' लाली या 'पूर्णिमा के लिए आया ये हाथी बेहोश कर पकड़ लिया गया।
इस बीच युवा होने से पहले पूर्णिमा की मौत हो गई हैं जिसके कारण को जाँच हो रही है ।पता चला है पूर्णिमा की माँ लाली बीमार और कमजोर चल रही है ।
सैकड़ों किमी का , लम्बा सफर, हरम की खोज बाद इस आशिक की नियति में अब जीवन भर गुलामीलिखी है ।जिसमें उसे साधने के लिए इस हाथी को जटिल दुखद प्रकिया से गुजरना होगा ।
( फोटो- पत्रकार अमित मिश्रा की वाल से साभार)
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