Monday 22 April 2013

छतीसगढ़ के जंगल में बिग- फाइव खतरे के क्रम में







छतीसगढ़ के जंगल में फाइव-बिग को खतरे क्रम से लिखा जाए तो – वनभैंसा, बाघ,बाईसन,तेंदुआ और हाथी...,हाथी तीन दशक पहले तक इन जंगलों में नहीं थे मगर, झारखंड,उड़ीसा,बिहार से पहुंचे और अब ये यहीं के हो कर रह गए हैं .
वनभैंसा [babualus arnee] छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है, मगर ये उदंती में एक मादा और सात नर बचे हैं. इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान में इनकी मौजूदगी है,WTI के राजेन्द्र प्रसाद  मिश्रा ने कुछ समय पहले वहां दौरा करके ये बात कही. बस्तर के शरद वर्मा भैंसे की कम होती संख्या पर चिंता जाहिर करते रहे हैं.ये इलाका नक्सल प्रभावित है और वन आधिकारी इनकी सही गिनती करने में असमर्थ हैं. सरकारी आकड़ा कहता है इनकी संख्या सौ से अधिक है,पर गैरसरकारी जानकार  इसका आधा भी नहीं मानते.
बाघ[pantbera tigris] छतीसगढ़ राज्य निर्माण के अवसर पर अविभजित मप्र में 927 बाघ थे जिसमें
छतीसगढ़ में दो सौ बाघ थे.तब गिनती पदचिन्हों के आधार पर होती थी. आज और सही तरीके उपलब्ध है.इसके मुताबिक बाघ 20 से 30 ही रह गये हैं. मगर इनकी संख्या बढ़ने की संभावना बनी है.क्योकि वन विभाग की नींद खुल गई है.
बाइसन[bos gaurteus] को मैं खतरे से बाहर मानता हूं,इस विशालकाय जीव का शिकार बाघ के बूते की बात है,और उनकी गिनती कम हो गई है.तेंदुआ इनके बिछड़े शावक को भले शिकार बना ले पर झूंड की सुरक्षा में वो इनपर हमला नहीं करता. मेरे बिग फाइव में ये सब से सुलभ और शांत देखे जाने वाले  वन्य जीव हैं.
तेंदुआ.[pantbera pardus] ये तो जंगल का राजकुमार है.चपल और तेज तेंदुआ जंगल से लेकर वन्य गाँव तक तेंदुआ अपनी मौजूदगी बताता  रहता है.छतीसगढ़ के जंगल में इसका देखा जाना कोई अनोखी बात नहीं..!
हाथी [elephas maximus] मान न मान मैं तेरा मेहमान बनकर हाथी 'बिग- फाइव'[बी] का सबसे बड़ा और सुरक्षित जीव बन गया है. मानव और हाथियों का बीच जमीन के लिए जंग छिड़ी हुई है.हाथियों के लिए सेंचुरी बनाई जाना प्रस्तावित है, पर उनको सीमा में बांध पाना संभव नहीं लगता. हाथी और आदमी को साथ रहना सीखना होगा.ये कुदरती प्रक्रिया चल रही है.[फोटो-एक मेरी शेष गूगल ]

2 comments:

  1. सही कहा आपने, बाघों और वन भैंसों की संख्या कम होती जा रही है. दंतैल हाथी से मुडभेड ... इसे पढ़िए

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  2. दर्शनीय, विचारणीय.

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