Sunday 21 April 2013

कागज के बाघ टाइगर रिजर्व में नहीं दिखते


कागज में बाघ .. अचानकमार टाइगर रिजर्व [बिलासपुर छत्तीसगढ़ ] में कागज के बाघ है.इस सेंचुरी में शेरदिल अधिकारी ऍम आर ठाकरे पदस्थ रहे..सन१९८५ की बात होगी, तब बाघों की कोई वैज्ञानिक गिनती न होती थी. वे पत्रकारों के मित्र थे. हम सब जंगल में डेरा डाले रहते. हर साल मार्च से पहले वे पूछते पिछले साल १४ बाघ थे २-३ और हो गये होंगे, १७ लिख के भेज देते हैं. हम हाँ कहते..उनकी मंशा थी की जादा बाघ बताये तो अचानकमार जल्दी टाइगर रिजर्व बनेगा. गिनती कुछ साल में २७ जा पहुची ..१९९५ मैं म.प्र. वाइल्ड लाइफ बोर्ड का मेंबर बना. तो पूरा मसोदा बना के बोर्ड के समाने पेश किया..अगली बैठक में जानकारी दी गई कि  ५५२ वर्ग किमी के जंगल में इतने बाघ पहले से हैं .. इसलिए टाइगर रिजर्व की कोई आवश्यकता नही है ... फिर कोई यहाँ बाघ कम बताया तो बात नौकरी पर  आ जाती .. वैसे ताजा गिनती में बाघ कम आ रहे हैं..फिर भी कागजों में बाघ कुछ अधिक बचे हैं .माना जा रहा है की पांच से सात बाघ शेष हैं ..अब ये टाइगर रिजर्व बन गया है .अब इस रिजर्व से गांवों को हटाने का काम चल रहा है,पहली खेप के बाद दूसरी खेप के गांवों को हटाया जा रहा है.
इस टाइगर रिजर्व के सीने से बिलासपुर - अमरकंटक सड़क गुजरती है. छत्तीसगढ़ वन्य जीव बोर्ड की बैठक में या तय किया गया था की चरण वार इस सड़क का यातायात रोक दिया जायगा जिस से वन जीवों को खलल  कम हो जाये पर तीन साल में रात को ट्रक की आवाजाही  ही रुक सकी है . उधर सालों के लंबित वैकल्पिक मार्ग भी आधा अधूरा बन सका है.वन्य जीवों के लिए प्राथमिकता दोयम दर्जे पर चल रही है. ये दशा टाइगर रिजर्व के स्वास्थ के लिए अच्छी नहीं है. अगर कागजों में दर्ज बाघों की संख्या को सही करना है तो गांवों को इसकी सीमा से बाहर करने में और देर नहीं होनी चाहिए. बचे गाँव वाले जाने को आतुर हैं ,पर सरकारी लालफीता शाही के चलते काम की गति अपेक्षित नहीं है.
एक जोक-
अचानकमार टाइगर रिजर्व में बड़ी मुश्किल बाघ दिखता है - एक विदेशी पहुंचा, जंगल में जिप्सी गई थी की भाग्य से बेरियर के आगे ही बाघ दिख गया . सैलानी ने कैमरे से खूब फिल्म बनाई . फिर गाइड से पूछा-
''कितना टाइगर है यहाँ, गाइड ने कहा 27 ..! विदेशी बोला एक का  फोटो हो गया ,चलो बाकी 26 दिखाओ ..!
 [फोटो गूगल से कार्बेट पार्क की साभार ली गई है]

1 comment:

  1. लंबे समय हुआ आपसे रतनपुर केंदा मझवानी कारिआम पेन्‍ड्रा मार्ग की बात सुना था, फिर एक बार बाइक से राजू तिवारी जी के साथ इस रासते का रोमांचक आनंद लिया.

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