Tuesday 23 April 2013

अमरकंटक घाटी के सदा हरे-भरे वन

अचानकमार टाइगर रिजर्व और अमरकंटक घाटी के सदा हरे  साल के वनों पर साल बोरर का हमला बीती सदी के अंतिम दशक में हुआ,तब अविभाजित मध्यप्रदेश का कान्हा नेशनल पार्क भी इससे बच न सका .कान्हा के फील्ड डायरेक्टर राजेश गोपाल थे .एक छोटे तथा जीवट बोबर न मजबूत साल के पेड़ों को सूखा  दिया , इससे बचने के लिए बोरर प्रभावित लाखों पेड़ो को काटा गया .

इन सबके बावजूद साल का जंगल आज भी घना है. जिसकी हरियाली आँखों को सकूँ देती है. अचानकमार टाइगर रिजर्व के इलाके में आने वाले एक वन को दियाबार कहा जाता है. यहाँ पेड़ इतने घने थे कि धूप जमीन तक सीधी नहीं पहुँचती. [दिया जला के जाना होता है ] .आज भी साल के यहाँ घने और मजबूत पेड़ है,. इसे बाघ का इलाका माना जाता है. बीस साल पहले बंगाल से आये सैलानियों की मेजबानी मैं और पत्रकार अमित मिश्रा कर रहे थे ,खुली जीप मैं  चला रहा था. तभी  दियाबार जाने से पहले मुख्य सड़क पर दिन को बाघ बैठे सबने देखा . पेड़ पर बंदर किटकिटा कर खतरे की सूचना दे रहे थे . जब जंगल इतना घना और नैसर्गिक होगा तो बाघ और दूसरे वन्यजीव कैसे न होंगे. पर बदलते समय में उनको और अधिक सुरक्षा की जरूरत है.

1 comment:

  1. वन की रक्षा बाघों से, बाघों की रक्षा वन से.

    ReplyDelete