साल के घने जंगल में बड़े धनेश [malabar pied hornbill] का तो क्या कहना. जोड़े मैं रहने वाला ये बड़ा पक्षी है.. पर्वत की घाटी में एक के पीछे दूसरा नीचे की ओर जब उड़न भरते हैं ,तो जंगल की शोभा देखते बनती है.धनेश की और प्रजाति भी हैं ..पर काले रंग के इस बड़े धनेश की तो शान ही निराली है..
मैंने वर्षो पहले इसको जोड़े मैं अमरकंटक की कबीर घाटी उड़न भरते देखा. बांधवगढ़, कान्हा में भी देखा है .पर तेजी से ये लुप्त हो रहा पक्षी है.. मादा धनेश बड़े पेड़ के कोटर में अंडे देती है, कोटर को बंद कर दिया जाता है,बस इतनी जगह खुली रहती है जहाँ से नर मादा को फल और कीड़े खाने के लिए दे सके.ऐसा परजीवियों से बचने के लिए किया जाता है.. बच्चे बड़े होने लगते हैं तो कोटर में जगह कम हो जाती है..तब कोटर को चोंच से खोल दिया जाता है.. इस दौरान नर की भूमिका अहम् रहती है.इस बीच नर पक्षी मारा गया तो मादा भी मर जाती है.
घने जंगल का ये शानदार पक्षी, अपनी विशिष्ट उड़ान, सुन्दर काला- सफेद रंग , और दोहरी बड़ी चोंच दिखने के कारण एक बार देखने के बाद जीवन भर नहीं बुलाया जा सकता.जंगल में कटाई के कारण पुराने बड़े पेड़ खात्मे की और हैं , जाहिर है जब ये पुराने पेड़ न होंगे तो कोटर भी न होगे तो भला धनेश कैसे वंश वृद्धि करेगा ,लिहाजा अब वो समय आ गया की पुराने पेड़ों को बचाया जाये तभी इस शानदार जीव की रक्षा होगी ..![फोटो-गूगल से साभार ली गई है]
मैंने वर्षो पहले इसको जोड़े मैं अमरकंटक की कबीर घाटी उड़न भरते देखा. बांधवगढ़, कान्हा में भी देखा है .पर तेजी से ये लुप्त हो रहा पक्षी है.. मादा धनेश बड़े पेड़ के कोटर में अंडे देती है, कोटर को बंद कर दिया जाता है,बस इतनी जगह खुली रहती है जहाँ से नर मादा को फल और कीड़े खाने के लिए दे सके.ऐसा परजीवियों से बचने के लिए किया जाता है.. बच्चे बड़े होने लगते हैं तो कोटर में जगह कम हो जाती है..तब कोटर को चोंच से खोल दिया जाता है.. इस दौरान नर की भूमिका अहम् रहती है.इस बीच नर पक्षी मारा गया तो मादा भी मर जाती है.
घने जंगल का ये शानदार पक्षी, अपनी विशिष्ट उड़ान, सुन्दर काला- सफेद रंग , और दोहरी बड़ी चोंच दिखने के कारण एक बार देखने के बाद जीवन भर नहीं बुलाया जा सकता.जंगल में कटाई के कारण पुराने बड़े पेड़ खात्मे की और हैं , जाहिर है जब ये पुराने पेड़ न होंगे तो कोटर भी न होगे तो भला धनेश कैसे वंश वृद्धि करेगा ,लिहाजा अब वो समय आ गया की पुराने पेड़ों को बचाया जाये तभी इस शानदार जीव की रक्षा होगी ..![फोटो-गूगल से साभार ली गई है]
कुछ साल पहले मैंने इन्हें दलहा के पास कटघरी गांव के विशाल आम के पेड़ों पर देखा था.
ReplyDeleteShashi Sharma
ReplyDeleteहमारे यहां, हरिद्वार बिलकेश्वर कालोनी में ये महाधनेश हर साल जनवरी माह में एक जोडा आता है, इस बार खुशी की बात ये है की दो जोडे पक्षी आये हुए है,इनका वैभवशाली स्वरुप बहुत आकर्षक है जबकि आवाज बडी तीखी और गहरी है,इनकी आवाज आते ही मैं हर साल दौड कर जाती हूं और इनके सुंदर रुप को निहारने का आनंद जरुर लेती हूं, यूं तो सामान्य हार्नबैल इस समय बडी संख्या में यहां आये हुए हैं, लेकिन जहां ग्रेट हार्नबैल बैठता है वहां नहीं बैठते अभी आधा घंटा पहले मैंने ये महाधनेश के जोडे की तस्वीर अपने मोबाइल से ली है।ऊफ यहां फोटो एड करने की कोई व्यवस्था नहीं है।